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Showing posts from April, 2022

मेरे अश्क़,

मेरे अश्क़ उनकी बेइंतेहा मोहोब्बत के गुलाम हो गए लड़ते झगड़ते यादों से उनकी जानें कब मेरी पलकों पर मेहमान हो गए...

छोटी सी ये ज़िंदगी,

छोटी सी ये ज़िंदगी समेटे हुए है  अंगिनत ख्वाइशों का दरिया,  बस एक तेरी चाहत है मुझको ए ज़िंदगी  वरना इस दुनियां में मेरा कुछ भी नहीं...

धीरे धीरे,

धीरे धीरे वो अपनी ज़िंदगी की खवाइशो के गुलाम बन गए आख़िर मिले भी तो वो तब मुझे जब तराशे हुए मोहोब्बत के नगीने से वो एक पत्थर बेजान बन गए...

उनके जज़्बात,

उनके जज़्बात ए दिल से बेइंतेहा दिलागी करली मैंने वो बात और है की मुझको उनका नाम तक मालूम नहीं...

सिलसिले,

सिलसिले ये चाहत ए मोहोब्बत तुम्हारी कम होती ही नहीं ए हसीं कभी कभी तो मैं तंग आकर तुम्हारी यादों से झगड़ पड़ता हूं...

ढूंढोगे मुझको तो,

ढूंढोगे मुझको तो एक नहीं हज़ार मिलेंगे मगर याद रखना ए हसीन मुझको छोड़कर सारे के सारे बस हुस्न के तलबगार मिलेंगे...

दीवारें,

ये सरहद की दीवारें क्या समझेंगी जज़्बात ए मोहोब्बत को मेरी ए खुदा आज़ाद ए इश्क़ का कत्ल करना तो इनकी आदत पुरानी है..

इस वक्त से कहो,

इस वक्त से कहो की ज़रा जल्दी से गुज़रे क्यूंकि बेसब्री से किसी का इंतेज़ार है मुझे...

गलतियां,

गलतियां करता हूं क्यूंकि इंसान हूं मैं और मेरी गलतियां ही मेरी सफ़लता की कुंजी है

फासले,

फासले इतने ना थे कभी दर्मिया हमारे पर अब ना जानें क्यूं दर्द बढ़ने लगा जितना नज़दीक था मैं उससे कही ज्यादा आज खुदको दूर पाया मैंने...

वक्त,

आज मेरा वक़्त बुरा हुआ तो क्या हुआ जनाब मगर मेरे बुजुर्गों ने मुझे कभी किसी का हक़ मारना नहीं सीखाया....

Bachpan,

बचपन से ख्वाइशे बहुत है इस दिल में जिन्हें बहलाना अब मुश्किल हो गया, जबसे होश संभाला है मैंने तबसे मेरा हर ख़्वाब अधूरा सा लगता है मुझको...

काश,

काश उनकी और मेरी पहली  इत्तेफाक ए मुलाक़ात एक राज़ न होती काश मेरी ये दिल की धड़कने उनके लिए सिर्फ़ एक आवाज़ न होती काश इस शोरगुल दुनियां में भी मेरी ख़ामोशी की भी कोई जुबां होती काश समेट पाता उन हसीं  लम्हों को मैं हथेली पर अपनी  काश मेरी मोहोब्बत उनकी नज़रों में सिर्फ़ एक जज़्बात  न होती  काश वो रहते इस दिल में मेरे हमेशा मेरा आईना बनकर काश उनकी होता ऐतबार मुझपर  तो आज वो सिर्फ़ मेरी मोहोब्बत ही नहीं बल्की आज मेरा पूरा जहां होते...

आख़िर क्यूं ,

आख़िर क्यूं वो मेरी ज़िंदगी का इक अधूरा हसीं ख़्वाब बन गए, जानें अंजाने में मेरी मोहोब्बत के अंगिनत सवालों का एक बेहद ही ख़ूबसूरत जवाब बन गए, सोचता हूं मैं मगर जानता नहीं आख़िर क्यूं वो देखते ही देखते मेरी गुमनाम शख्सीयत की पहचान बन गए, बंजर थी जमीं कभी मेरे दिल की और ना जानें कब वो खुशियों की कली से जीता जागता एक गुलाब बन गए...

शाम ढलने को है मगर,

शाम ढलने को है मगर  दीदार ए इश्क़ अधूरा है मेरी ख़ामोश नज़रों का  करना इज़हार अधूरा है चांद की ख्वाइश नहीं मुझको बस उनकी यादों में रहना है जो आज है मेरा अपना  कल उन्हीं को कहना है ए वक्त तू ठहर जा ज़रा  उनसे मेरी मुलाक़ात का  वो हसीं ख़्वाब अधूरा है शाम ढलने को है मगर मेरे दिल का उनके दिल से अभी करना इज़हार  अधूरा है...

गुम हो गया है,

कहीं गुम हो गया है सुकून ए ज़िंदगी का मुझसे ए खुदा लगता है जैसे उनकी यादें ज़िंदा है अभी भी मुझमें कहीं

वास्ता क्या है,

वास्ता क्या है तेरा मुझसे मेरी गम ए ज़िंदगी  चाहत सुकून की करता हूं तब्भी ख़्याल  तेरा ही क्यूं आता है जेहन में...

शाम ढले,

जिस दिन शाम ढले तुम्हारी ज़िद की तो लौट आना ए हमसफ़र, जानें कबसे मेरी गुस्ताखियो को दिल से लगा के बैठे हो...

तुझको अपने दामन में,

तुझको अपने दामन में कहां तक समेटू ए ज़िंदगी टुकड़ों में बिखरा देख तुझको मेरा आईना भी हैरां  रहने लगा है आजकल...

छत,

दिल की छत चढ़ने लगा है तेरी मोहोब्बत का दरिया अक्सर तेरी यादों की बेवक्त बारिश में भीग जाता हूं मैं....

ये तेरी मेरी,

ये तेरी मेरी उल्फत ए ज़िंदगी किसी दास्तां से कम नहीं मुद्दत्ते गुज़र ही जाती है इंतज़ार ए मोहोब्बत में कभी कभी..

कई मर्तबा टूटकर,

कई मर्तबा टूटकर बिखरते हुए देखा है मैंने खुदको ए खुदा जब्भी किसी को दिल चाहा मैंने वो शख्स ही बदल गया अपनी ख्वाइशो की तरह...

जानें तेरी रूह का,

जानें तेरी रूह का मेरी रूह से क्या रिश्ता है ए अजनबी जब तू साथ होता है तो मेरा खुदा भी मुझको पराया सा लगने लगता है...

इत्तेफ़ाक़,

इत्तेफ़ाक़ ए उल्फत हुई उनको हमसे और हम उनके हुस्न के तलबगार हो गए, मेरा मुझमें कुछ न रहा बाकी उनपर ऐतबार करते करते...

बातें,

बढ़ने लगती है मुलाकातें मोहोब्बत पर कुछ  बातें दिल की दिल में ही रह जाती है ए हसीं, जानें कैसी कशिश है इन आँखों में तुम्हारी  जब्भी पढ़ता हूं वक्त गुज़र जाता है...

मुझे इस बदलती हुई,

मुझे इस बदलती हुई दुनियां के उसूलों से तुम अंजान ही रहने दो, इस बेइंतेहा ख़ूबसूरत आसमां में बिखरे हुए रंगों को एक ढलती हुई सुरमई शाम कहने दो, किसी पहचान  की ज़रूरत नहीं इस शक्सियत को मेरी, तुम बस मुझको और मेरी ज़िंदगी को यूंही गुमनाम ही रहने दो...

मैंने कब कहा,

मैंने कब कहा तुझसे की मुझे कोई नाम दे ए ज़िंदगी, इस चकाचौंध भरी दुनियां में रहने दे मुझको गुमनाम ए ज़िंदगी, ना पसंद हूं मैं सबको तो क्या हुआ कभी भूख से तड़पती तो कभी अधूरी प्यास है ये ज़िंदगी, देता हूं दुआएं दिल से सभी को फिरभी हमेशा क्यूं जिल्लत से भरी ढलती हुई शाम है ये ज़िंदगी, कहने को तो बहुत कुछ है पर तेरी बदकिस्मती को छुपाना कहां आसान ए ज़िंदगी, मैंने तुझसे कब कहा की मुझे कोई नाम दे तू बस रहने दे मुझको हमेशा यूंही गुमनाम ए ज़िंदगी...

दूर है वो,

दूर है वो मुझसे पर दिल क़रीब क्यूं नज़र आता है ये मोहोब्बत नहीं तो क्या है जनाब, आंखें बंद करते ही उनका हसीन चेहरा पलकों पे मेरी सिमट जाता है, जब उनसे मेरी पहली मुलाक़ात का किस्सा मेरे होंठों पर मुस्कुराहट बनकर झलक आता है, पूरी तो हो जाती ख्वाइश मेरे दिल की पर न जानें क्यूं ए खुदा मेरा हर  ख़्वाब हर दफा ही अधूरा रह जाता है...

मुश्किल,

कब्तक तुम्हारी हसीन यादों के सहारे जीयूं मैं ओ हमनवा दिलबर मेरे, कभी कभी बहुत मुश्किल हो जाता है मेरे लिए  अपनी सांसों के साथ तुम्हारी मोहोब्बत को सींच पाना...

कभी तुझको,

कभी तुझको खोने का डर सताता है मुझको ए नाज़नी  तो कभी तुझको अपना आईना बनाने को दिल करता है...

शायद,

"शायद उनकी मोहोब्बत मुझे कभी मिले या ना मिले इस जहां में खुदा का शुक्र है,  कि वो आज भी मेरी यादों को अपने  सीने से लगा के रखते हैं... "

वक्त तफ़्तीश

वक्त तफ़्तीश के बहाने मेरे दिल के  ख़ाली पन्नों को पलटने लगता है, आहिस्ता आहिस्ता मुझको मेरी यादों से अलग थलग करने लगता है, जानें क्यूं ढूंढता है मेरी दिल की जमीं पर निशां उनके भला क्या कोई सुबह का अधूरा सपना ज़ुबानी याद रखता है...

मनमर्जियाँ

एक शख्स मुझपर पर अपनी मनमर्जियाँ चलाने लगा  ना चाहते हुए भी वो अपनी बेइंतेहा मोहोब्बत की  हसीन कलियों को मेरे दिल की जमीं पर सजाने लगा, पल दो पल की मुलाक़ात में ही मुझसे ज्यादा मेरे करीब आने लगा, पूछा जब उससे मैंने नाम उसका तो खुदको मेरा अधूरा ख़्वाब बताने लगा...

जुगनू,

देखो कैसे चमक रहा है जुगनू बहती हवाओं के संग टिमटिमाने लगा, रोशन करता धरा का हर कोना मानो जैसे सारा आसमां मेरे कदमों में आ गिरा....

समेटने लगा है,

समेटने लगा है खुदा भी अपनी रहमतों का दरिया,  क्यूंकि हर इंसा खुदको खुदा जो कहने  लगा है...

तू मेरी मोहोब्बत ही नहीं,

तू मेरी मोहोब्बत ही नहीं बल्की दिल की गहराईयों में छुपा एक राज़ है मेरा, तू सिर्फ मेरा हमसफर ही नहीं बल्की बेइंतहा खुशियों से भरा आज है मेरा...

कोई जरूरती कमरा,

कोई जरूरती कमरा नहीं ये ख़ाली दिल मेरा जिसे भी देखो मुंह उठा के अंदर चला आता है..

ताबीज़-ए-मोहब्बत,

ताबीज़-ए-मोहब्बत बना दे तू मुझको उसका ए खुदा क्यूंकि उम्रभर हीफाज़त करने का वादा किया है मैंने

वक्त बदल रहा है

वक्त बदल रहा है और ज़िंदगी का सुकून कम होने लगा जबसे खुदको पहचाना है तबसे मैंने तन्हा पाया है खुदको...

मेरा नामों निशां,

कौन याद रखेगा मेरा नामों निशां इस जहां में आजकल तो लोग इंसानियत तक को भूल जाते हैं, बहुत मतलबी हो गई है ये तेरी बनाई दुनियां ए खुदा ये फ़रियाद मुकमल होते ही अपने वादों को भी भूल जाते हैं, ये तब भी तेरा शुक्रिया अदा नहीं करते जब इनके दिन तेरी रहमत से बदल जाते है...

इक़रार,

एक अरसे के बाद आज उन्होंने मोहोब्बत ए इक़रार किया है हमसे जो कभी मुझको देखते ही अपने रास्ते बदल लिया करते थे...

बोझ,

दब गया है मेरा वजूद मेरी ख्वाइशों के बोझ तले कहीं मेरे मौला एक वक्त ऐसा भी था जब ये हमेशा मुस्कुराता हुआ मिलता था मुझको...

मेरे घर का आईना,

मेरे घर का आईना बहुत इतराने लगा है आजकल लगता है के जैसे मेरी मुस्कुराहट के पीछे छिपे हर  दर्द से बखूबी वॉकीफ है वो...

मेरा सफ़र मुझसे,

मेरा सफ़र मुझसे मेरी मंज़िल का ठिकाना पुछने लगता है धीरे धीरे मेरी ज़िंदगी के ख़ाली पन्नों पर एक नया अफसाना लिखने लगता है, जानें कबसे रूठी हुई है मुझसे मेरी मंज़िल अब इस उम्र में आकर कहां किसी को कुछ याद रहता है, वो रुक जाता है चलते चलते राहों में और मौका मिलते ही बेवजह मुझसे बहस पड़ता है, जब दिखती नहीं मुझको मेरी मंज़िल तो ढलते हुए सूरज को दौड़कर पकड़ने लगता है, सफ़र मेरा मुझसे मेरी मंज़िल का ठिकाना पुछने लगता है, देखते ही देखते मेरी उलझनों में उलझने लगता है...

वो मुझसे अपनी,

वो मुझसे अपनी खुशियों का पता पूछते हैं आते जाते हर अजनबी से अपने दरदे दिल  की दवा पूछते हैं, कभी वो शख़्स ख्वाइश था  मेरी ज़िंदगी की अब ना जानें क्यूं वो मेरे दिल में कभी अपना बीता हुआ कल तो कभी बदला  हुआ आज ढूंढते हैं...

आज वो शख़्स,

आज वो शख़्स अपने गुनाहों की सज़ा मांगता है जिसकी खुशियों की खातिर हमने अपना सब कुछ गवा दिया...

वो अक्सर वजह पूछते हैं,

वो अक्सर वजह पूछते हैं मेरी मोहोब्बत की अब उन्हें कौन समझाए की कुछ बातें राज़ ही रहे तो अच्छा है....

मेरी आंखों के नीचे,

मेरी आंखों के नीचे झुरियां छाने लगी धीरे धीरे मेरे माथे पर पसीना आता देख मेरी मेहनत मन ही मन मुस्कुराने लगी अब सफलता ज्यादा दूर नहीं मुझसे ए ज़िंदगी क्यूंकि मुझे मेरी बंद आंखों से भी अपनी मंज़िल साफ़ नज़र आने लगी...

मेरे दिल के दरिया में,

मेरे दिल के दरिया में किसकी कश्ती नज़र आ रही है कई बरसों के बाद हवा में मोहोब्बत नज़र आ रही है कुछ तो बात है उस शख्स की मोहोब्बत में इसलिए मुझे अपनी बंद आंखों में उसका अक्स नज़र आ रहा है...

मैं एक व्यापारी हूं,

मैं एक व्यापारी हूं संग अपने दर्द बेशुमार लाया हूं बेइंतेहा मोहोब्बत से भरी बेचैन रातों की कतार लाया हूं बेनकाब करने खुदगर्ज मोहोब्बत को हुस्न की गलियों में नया पहरेदार आया हूं, खरीदने सुकून ए ज़िंदगी मैं गमों के शहर में पहला ज़मीदार आया हूं...

ना कोई आरज़ू है,

ना कोई आरज़ू है मेरी ना ही कोई मकसद मेरा बस मेरी ज़िंदगी को खुशनुमा बनाने के लिए सिर्फ तुम्हारा साथ चाहिए....

किसी की ख़ामोशी,

किसी की ख़ामोशी को समझने के लिए जज़्बात चाहिए, किसी अजनबी को अपना बनाने के लिए आंखों में आसूं नहीं बल्की कुछ मोहोब्बत भरे अल्फाज़ चाहिए, बहुत मतलबी हो चुकी है मोहोब्बत आजकल किसी को खेलने के लिए किसी का प्यार भरा दिल तो किसी को किसी पूरी ज़िंदगी चाहिए...

अपने सुकून को बेचकर,

जबसे अपने सुकून को बेचकर मैंने ये दर्द कमाया है तबसे ये पराई दुनियां मुझको कुछ अपनी सी लगने लगी है...

पहले की तो बात,

पहले की तो बात ही कुछ और थी दोस्तो  आजकल तो किसी के साथ हंसना खेलना  भी एक व्यापार समझा जाता है...

ख्वाबों में आते ही उनके,

ख्वाबों में आते ही उनके ये वक्त क्यूं ठहर जाता है रोकता हूं दिल को उनके हसीं ख्यालों में सिमट जाता है उनकी दिलकश आंखों की गहराइयों में उतरने लगता हूं मैं परिंदा इश्क़ का उनके होठों के पिंजरे में कैद होने  लगता हूं, धीरे धीरे मुझपर उनकी मोहोब्बत का नशा चढ़ जाता है और मैं अपने दिल को थाम लेता हूं, उनकी मदहोश निगाहों से पीने लगता हूं मैं काफ़िर खुदको कवि समझने लगता हूं, देखकर उनको मेरे चेहरे पर मुस्कान झलकने लगती है मैं उन हसीन लम्हों को तस्वीरों में संजोने लगता हूं, देखते देखते सवेरा होने लगता है और मैं अपने ख्वाबों में उनके कदमों के निशां ढूंढता रहता हूं....

सुना है ज़िंदगी एक नशा है,

सुना है ज़िंदगी एक नशा है  दोस्तो जबसे चढ़ा है मुझपर तबसे मुझे ये मेरी बेरंग दुनियां  रंगीन सी लगने लगी है....

इस दुनियां का दस्तूर,

इस दुनियां का दस्तूर समझ में आने लगा है मुझको की अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए भी हर इंसा  को एक क़ीमत चुकानी पड़ती है....

इतनी कड़वाहट भरी है,

इतनी कड़वाहट भरी है इस दुनियां में की अब तो करेला भी दिन के उजाले में आम नज़र आता है...

गिनता हूं तारे,

गिनता हूं तारे तो रात गुज़र जाती है बेवजह मुस्कुराता हूं जब मुझे उनसे अपनी पहली मुलाक़ात याद आती है, खुदा जानें की क्या हुआ है मुझको उनको देखे बिना मेरा हर ख़्वाब अधूरा सा रहता है...