मेरा नामों निशां,

कौन याद रखेगा मेरा नामों निशां इस जहां में
आजकल तो लोग इंसानियत तक को भूल जाते हैं,
बहुत मतलबी हो गई है ये तेरी बनाई दुनियां ए खुदा
ये फ़रियाद मुकमल होते ही अपने वादों को भी भूल जाते हैं, ये तब भी तेरा शुक्रिया अदा नहीं करते जब इनके दिन तेरी रहमत से बदल जाते है...

Comments

Popular posts from this blog