गिनता हूं तारे,

गिनता हूं तारे तो रात गुज़र जाती है
बेवजह मुस्कुराता हूं जब मुझे उनसे
अपनी पहली मुलाक़ात याद आती है,
खुदा जानें की क्या हुआ है मुझको
उनको देखे बिना मेरा हर ख़्वाब
अधूरा सा रहता है...

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