वक्त तफ़्तीश

वक्त तफ़्तीश के बहाने मेरे दिल के
 ख़ाली पन्नों को पलटने लगता है,
आहिस्ता आहिस्ता मुझको मेरी
यादों से अलग थलग करने लगता है,
जानें क्यूं ढूंढता है मेरी दिल की जमीं
पर निशां उनके भला क्या कोई सुबह
का अधूरा सपना ज़ुबानी याद
रखता है...

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