इत्तेफ़ाक़,

इत्तेफ़ाक़ ए उल्फत हुई उनको हमसे और हम उनके हुस्न के तलबगार हो गए, मेरा मुझमें कुछ न रहा बाकी उनपर ऐतबार करते करते...

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