ख्वाबों में आते ही उनके,

ख्वाबों में आते ही उनके ये वक्त क्यूं ठहर जाता है
रोकता हूं दिल को उनके हसीं ख्यालों में सिमट जाता है
उनकी दिलकश आंखों की गहराइयों में उतरने लगता हूं
मैं परिंदा इश्क़ का उनके होठों के पिंजरे में कैद होने 
लगता हूं, धीरे धीरे मुझपर उनकी मोहोब्बत का नशा चढ़ जाता है और मैं अपने दिल को थाम लेता हूं, उनकी मदहोश निगाहों से पीने लगता हूं मैं काफ़िर खुदको कवि समझने लगता हूं, देखकर उनको मेरे चेहरे पर मुस्कान झलकने लगती है मैं उन हसीन लम्हों को तस्वीरों में संजोने लगता हूं, देखते देखते सवेरा होने लगता है और मैं अपने ख्वाबों में उनके कदमों के निशां ढूंढता रहता हूं....

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