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Showing posts from December, 2021

मेरी प्यास मुझे खींच लाती है तुझतक,

मेरी प्यास मुझे खींच लाती है तुझतक  तू इश्क़ का वो दरिया है जो हर मौसम  मेरी प्यास बुझाता है...

ख़ुद से ख़फ़ा क्यों रहते हो,

ख़ुद से ख़फ़ा क्यों रहते हो  क्यूं बीते कल के साथ बहते हो,  मुस्कुराने के लिए है ज़िंदगी  फिर क्यूं उदास होकर आईने  से बात करते हो,  खुशियों से भरी महफ़िल में  क्यूं तन्हाई से अपने दिल राज़  कहते हो,  मुश्किल नहीं है संभाला खुदको  क्यूं टूटकर बिखरने की बात करते  हो,  बेवजह मुस्कुराने का नाम है ज़िंदगी  तो फिर क्यूं वजह तलाश करते हो...

दुनियाँ नहीं समझती,

दुनियाँ नहीं समझती टूटकर  बिखरना किसी की चाहत में क्या होता है,  ज़रा पूछो मुरझाए फूलों से  क्या खूबसूरत होना गुनाह  होता है,  बेवक्त सताने लगे है  मुझको सपने मेरे, क्या बेवजह मुस्कुराने  का मतलब सिर्फ़ प्यार  होता है।

सरफिरा दिल,

सरफिरा दिल हर खूबसूरत चीज़  में खुशियां तराशने लगता है,  बेवजह बैठे ही बैठे मेरी  तकलीफो को बढ़ाने लगता है,  किसी की झूठी मूठी चाहत को  भी अपना संसार समझ लेता है,  कहता हूं कुछ तो खमखा बात  बात पर मुझको टोकने लगता है,  सुनता नहीं मेरी ये एक भी बावरा दिल मेरा,  सुबह शाम किसी की याद में खोने लगता है...

इंसान की फ़ितरत है...

इंसान की फ़ितरत है  हर हसीं चेहरे से दिल  लगा लेता है,  धीरे धीरे मोहोब्बत में  उसकी अपनी पहचान  को मिटाने लगता है,  भूल जाता है खुदको  बस उस हसीं चेहरे को  याद रखता है,  देखते ही देखते ख्वाइशों  को अपनी अपने ही हाथों  से जलाने लगता है,  ढूंढता है खुदको जमाने  में भटकने लगता है,  जब उसको उसका हर  अज़ीज़ टोकने लगता है...

रोकने की ज़रूरत नहीं,

रोकने की ज़रूरत नहीं ज़िंदगी तू इतनी भी  खूबसूरत नहीं,  मनाना छोड़ दे मुझको  क्यूंकि मुझपर अब मेरी हुकूमत नहीं,  बिखरता है ख्वाइशों  का आसमां मेरा टुकड़ों  में जमीं पर,  ज़िंदगी पर तुझे  मुझको समेटने की  फुर्सत नहीं, जीता आया हूं हर  लम्हे में खुशियों को  अपनी सुकून से,  पर मुझमें फिरसे टूटकर बिखरने की  जुर्रत नहीं,  गुनाह क्या है मेरा  ये खुदा जानता है, तुझको आईनों से पूछने की ज़रूरत  नहीं....

हवा के साथ चल दिए,

हवा के साथ चल दिए मुसाफ़िर हम ज़िंदगी के  सफ़र में, लेकर आंखों में ख़्वाब  एक दूसरे के हम अपनी  हर सुबह शाम चल दिए, हासिल करने खुशियों को  हम अपनी इस जहां से उस पार चल दिए....

When the nights get colder,

When the nights get colder, then your memories convoy starts freezing in my breath, I remember every moment spent with you, When your touch starts flying like steam from my lips, Whenever I think about you, I start melting like wax in the colder nights.

मेरा वो रूप,

मेरा वो रूप मुझको रात  के आईने में नज़र आता है,  ख़ामोश रहता है दर्द चेहरे  पर उसके बेइंतेहा मुस्कुराता है,  मजबूर हूं मैं मुझे अपने इस रूप  को औरों से छुपाना पड़ता है,  ना चाह कर भी ठीक हूं मैं  ये सबको जताना पड़ता है,  मेरा वो रूप मेरे जख्मों को  अंदर ही अंदर कुरेदता है, खून बनकर पानी आंखों  से मेरी बहने लगता है,  इस दुनियां में हर एक  अनजान शख़्स मुझको  कमज़ोर समझने लगता है,  गीद के जैसे आबरू को  मेरी नुकीली आंखों से नोंचने  लगता है,  आता जाता हर मुसाफ़िर  अपनी नज़रों को झुकाकर  गुजर जाता है,  जाते जाते अबला हूं मैं  कोई शक्ति नहीं ये याद  दिला जाता है,  जाने ऐसा कौनसा कर्ज़ है  जो मुझको इस क़दर चुकाना  पड़ता है,  लड़की हूं मैं कोई वस्तु नही  क्यूं मुझको ये इतिहास सभी  को शिक्षक की तरह पढ़ाना  पड़ता है,  वरदान में मिले इस कलंक  के साथ मुझे जीना पड़ता है,  समाज के कड़वे शब्दों का  ज़हर ख़ामोशी से पीना पड़ता है, कभी कभी तो मैं अपनी  पहचान को अपने ही हाथों  से मिटाने लगती हूं,  जब्भी मेरा वो रूप रात के  आईने में बेवक्त उभर आता है।

सोचता हूं खुदको,

सोचता हूं खुदको भूलने लगता हूं, बातें करता हूं मैं जब खुद से तो अकड़ पड़ता हूं, खड़ा करता हूं अक्स  को आईने में और मैं बहेसने लगता हूं, मूंदकर आंखों को अपनी  मैं अपनी परछाई के पीछे भागने लगता हूं, ढूंढता हूं खुदको मैं जब अंधेरे में तो  भटक जाता हूं, मायूस होता हूं मैं जब खाली हाथ घर अपने लौट आता हूं, मेरे घर की दीवारें भी मुझसे कुछ बोलती है, बैठा रहता हूं ख़ामोश दर्मिया उनके जाने क्यूं वो मुझमें मेरी खुशियों को क्यूं टटोलती है, ठहरा रहता हूं मैं  मेरे पैरों के नीचे से  जमीं खिसकने लगती है, वजूद मेरा मुझको अंदर ही अंदर खरोचने लगता है, बेवजह में खुदसे  आधी रात को उठकर झगड़ने लगता हूं, देखता हूं जिधर भी अंधेरा ही अंधेरा नज़र आता है, देखकर मुझको अंधेरा मन ही मन अपने मुस्कुराता है, नींद में चूर आंखें  मेरी जागने लगती है, रात मेरी करवट्टे  बदलने लगती है,  धीरे धीरे सवेरा उगने लगता है, सोचता हूं खुदको भूलने लगता हूं....

एक रास्ता ऐसा भी था,

एक रास्ता ऐसा भी था जो मुझको मेरे ही वजूद से मिलाने लगता है, बेवजह मुझको मेरी खुशियों से रूबरू कराने निकल पड़ता है, बहता रहता है सपनों का दरिया मैं किनारे बैठा रहता हूं, देखता हूं जब मैं उसको तो रंग अपना बदलने लगता है, कभी कभी तो वो मुझको अजनबी समझने लगता है, चलता हूं जब दरिया पर तो मेरे कदमों के निशां मिट जाते है, ढूंढने लगता हूं जमीं को जब मैं भटकने लगता हूं, ख़ामोश हो जाता हूं जब पानी दरिया का घटने लगता है, आहिस्ता आहिस्ता मेरी आंखों में सिमटने लगता है, एक रास्ता ऐसा भी था जिसे मुझे मेरी खुशियों से रूबरू कराना अच्छा लगता है।

मेरे पापा मेरा खिलौना है,

मेरे पापा मेरा खिलौना है कभी मेरे सपनों का घोड़ा  तो कभी खुशियों से भरा  बिछौना है,  दिनभर मेरे ख्वाबों को पूरा करते है पापा कभी कभी आधी रात तक जगते है,  अंदाज़ उनका कभी नीम सा कड़वा तो कभी शहद  सा मीठा लगता हैं,  तो कभी कभी उनका गुस्सा  मेरा माथा चूमने लगता है,  क्या मांगू में उनसे जो  मांगने से पहले ही मेरी  खुशियां खरीद लाते है,  जब होते है वो साथ मेरे तो  हर दुख दर्द को भूल जाते है, अक्सर पापा मुझसे बच्चों की  तरह झगड़ते है पर बात हमेशा  पते की करते हैं,   हंसते है मुझपर जब शैतानियां  मैं अनोखी अनोखी करता हूं, उनके कदमों की आहट से मैं  आज भी थोड़ा बहुत डरता हूं,  कभी कभी पापा मुझको रुलाते  बहुत हैं बैठाकर अपने कंधों पर  घुमाते बहुत है,  देखता हूं उनको जब तो सवेरा  लगता है पापा के बिना जीवन मेरा अंधेरे में सिमटने लगता है,  दूर होता हूं जब मैं उनसे तो  मुझको उनकी याद सताती है, हारकर भी जीतने लगता हूं जब मुझे पापा की कही बातें  याद आती है, रोक नहीं पाता मैं खुदको आंखों  को मलने लगता हूं बेवजह तस्वीर से मैं उनकी झगड़ पड़ता हूं,  मेरे पापा ही मेरा खिलौना है कभी सपनों का घोड़ा तो कभी खुश

वो मंज़र ज़िन्दगी का था,

वो मंज़र ज़िन्दगी का था,  बहता जिसमें एक कतरा  मेरी खुशियों का भी था,  खो जाता हूं मैं जब याद  आता है मुझको आज भी, झिलमिल यादों में बसा  मुस्कुराता हुआ बचपन मेरा,  समेटा हुआ है मैंने कुछ अधूरे ख्वाबों को आंखों में अपनी,  डूब जाता हूं जिसमें अक्सर  मैं वो साहिल ज़िन्दगी का था...

अँधेरे में कहीं,

अँधेरे में कहीं वजूद मेरा  मुझमें सिमटने लगता है,  देखता हूं जहां तहां मुझको सामने मेरे अँधेरा खड़ा मिलता है,  बैठा बैठा मैं अकेला अँधेरे में उजाला तालाशने  लगता हूं,  मिलता नहीं जब मुझको तो सवाल में खुद से हज़र पूछने  लगता हूं,  बातों ही बातों में बेवजह मैं खुद से झगड़ने लगता हूं,  देखते ही देखते वक्त का  पहिया धीरे धीरे सरकने  लगता है,  बैठे बैठे अक्स मेरा  मुझपार हंसने लगता है,  मायूस होकर चिराग़ उम्मीद  का मेरे बुझने लगता है,  रात के साए में जब डर  मुझे जकड़ने लगता है,  रोते रोते वजूद मेरा टूटकर  जब बाहों में मेरी बिखरने  लगता है,  खुश होता हूं जब धीरे धीरे  वजूद मेरा मुझमें सिमटने  लगता है....

ज़िंदगी में खुशियां,

ज़िंदगी में खुशियां कभी आसानी से हासिल नहीं होती जनाब, वक्त के दरिया को धुंधली पड़ी यादों में खुद समेटना पड़ता है।

अपने काम से प्यार करो,

अपने काम से प्यार करो परिश्रम से अपनी सफलता के भवसागर को पार करो, क़दम बढ़ाते चलो लक्ष्य की ओर अपने हुनर से अपनी  पहचान बनो,  मज़बूत कर हौसलों को  अपने उज्वल भविष्य का  निर्माण करो, जो भी होगा अच्छा होगा कर खुद पर ऐतबार अपने जीवन को स्वीकार करो...

रोकता हूं खुदको,

रोकता हूं खुदको  इश्क़ के दरिया में  बहने लगता हूं, उनकी हसीन यादों की कश्ती में सफ़र  जो करने लगता हूं, बेचैन हो जाता हूं मैं जब उनकी जुल्फों के  भंवर में फसता हूं देखता हूं जब उन्हें तो समझकर आईना सवरने लगता हूं, ख़ामोश रहता हूं जब उनके होंटो पर अपने होंटो से जज़्बात दिल के लिखता हूं, देखकर पाक मोहोब्बत उनकी मेरा ईमान तौबा  तौबा करने लगता है, दर्मियां बैठता हूं उनके तो मेरे इश्क़ का प्याला छलकने लगता है, इश्क़ के सफ़र को  अपने बेइंतहा मैं जीने  लगता हूं, एक नहीं कई दफा जब  उनकी मदहोश निगाहों में डूबकर मैं मछली सा  तड़पने लगता हूं, रोकता हूं खुदको  पर ना जाने क्यूं, मैं पंछी जैसे ख्वाबों के आसमां में उनके उड़ने लगता हूं, ठहरा रहता हूं इक सूखे पत्ते के तरह  पर ना जाने क्यूं, इश्क़ के दरिया में लहरों के साथ साथ मैं भी बहने लगता हूं, मिलता नहीं जब उनको मांगने पर दुआओं में उनकी, तो बनकर पानी आंखों से उनकी टपकने लगता हूं, मैं तो एक काफ़िर हूं पर जाने क्यूं उनके  इश्क़ के दरिया में  सफ़र करने लगता हूं।

I can be truly free when,

I can be truly free when I'll invert my debacle into my victory, because my debacle always draw obstacles in the my path of success and never lets me rising from the realm of my fear.

नींद भी जागने लगी है मेरी,

नींद भी जागने लगी है मेरी शायद इसको भी टूटा हुआ कोई ख़्वाब याद आ रहा है।

Self-confidence in 10 Words

When despair surrounds you, don't panic, give a beautiful smile.

Forgetting you is like,

Forgetting you is like memorizing you which actually brings me closer to you, whenever I try to forget you, your memories part me from others and connect to you and I again drown in your memories instead of forgetting you.

To make the most of my life,

To make the most of my life, I never lets my curiosity die in my life so I always try to learn new things in different ways in my lifestyle. Sometimes I like to spend time with my life, that way I am also happy and my life also starts smiling.

It's only night that gives

It's only night that gives me a opportunity to find myself in the its darkness world, sometimes it swallows my misery and sometimes it keeps silent and reflects my loneliness like a mirror. I am always looking for my happiness in the dark world of night, because I can't even see my happiness in the light of day.

फ़ासला इतना न था,

फ़ासला इतना न था, तेरा मुझसे ए मेरी ज़िंदगी  थोड़ा बहक गया हूं इश्क़ की  गलियों में आकर,  निकल पाना जहां से मुश्किल  है मेरा क्यूंकि मुझे अपने कदमों  के निशां नहीं मिलते,  भटकता रहता हूं तलाश में  खुद की वीरान रास्तों पर,  हाँ मगर सोचा न था सफ़र मेरा  मुझे खुदसे इतना दूर ले आयेगा....

गुमसुम सा रहने लगा हूं,

गुमसुम सा रहने लगा हूं जिंदगी में  करने लगा हूं बाते खुद के दिल और  दिमाग़ से सोचने लगा हूं हर पहर, नींद आती नहीं मुझको परेशान करने लगे है मेरे  शब्द लिखता हूं जिन्हें मैं  जागकर रातभर, जीने लगा हूं ज़िंदगी को  अक्सर अपने ही ख्यालों में  कहते है मुझसे मेरे अपने  कुछ तो बदल सा गया हूं मैं, हां कुछ तो बदल सा गया हूं मैं  और बदल गया है मेरा नज़रिया  क्यूंकि बेजान चीजों की ख़ामोशी को मेहसूस करने लगा हूं मैं, पहले मैं अपने व्यक्तिव पर दूसरों की कही अच्छी बातें लिखता था और अब अपने शब्दों को लिखना  सीख गया हूं मैं, नज़रंदाज़ करता था भावनाओं और  कल्पनाओं को खुद की अब उन्हें अपने शब्दों में कैद करना सीख चुका  हूं मैं, लिखता तो मैं पहले भी था ज़िंदगी में  अपनी पर जबभी लिखा तो दूसरो की कही बातों को ही लिखा पर अब सही  मायने में अपने अस्तित्व को शब्दों में अपने लिखना सीख गया हूं मैं, हां थोड़ा सा बदल गया हूं मैं...

शब्दों की बूंद बूंद से

शब्दों की बूंद बूंद से मैं  अपना ज्ञान का सागर भरता हूं, बातें करता हूं अपने शब्दों से  कुछ अपनी कहता कुछ उनकी  सुनता हूं,  याद दिलाता हूं उनको इतिहास उन्हीं  का जब जब उनसे बातें करता हूं,  मैं अपने शब्दों को उनका महत्व  अपने कोरे जीवन पर लिख लिखकर  दर्शाता हूं,  जब होते नहीं वो सब साथ मेरे तो  मैं कुछ भी पढ़ लिख नही पाता हूं,  जोड़ जोड़कर शब्दों को अपने मैं  अपने शब्दों का जहान बनाता हूं।

When things change,

When things change, our needs change, when our needs change, then the importance of everything we have changes, and when that happens, our judgments about that thing change, our judgments change then things have to change.

चुप रहकर उसे जवाब दिया,

चुप रहकर उसे जवाब दिया, हमने उसको अपनी बंद आँखों में  कैद एक बेहद खुबसूरत ख़्वाब दिया,  करने लगा वो शख़्स बातें मेरी  ख़ामोश नज़रों से अपने दिल की,  तो मैंने उसकी बेचैन मोहोब्बत से  भरी रातों का गुलदस्ता चूम कर  स्वीकार किया,  करने लगे है अब हम खुद से बेइंतहा  मोहोब्बत क्यूंकि वो सोच रहा था बोलूँ मैं, पर मैंने चुप रहकर होंठों से अपने  होंठों पर उसके जवाब दिया....

बचपन की वो बातें,

आज भी काग़ज की कश्ती में बैठे दिखते है मुझे कुछ सपने पुराने, उड़ता था मेरा बचपन अपने ख्वाबों के आसमां में कटी पतंग की तरह, याद आते हैं मुस्कुराते हुए वो पल जो लग जाते है मुझको बेवजह रूलाने, मौजूद है मेरे दिल की धरा पर आज भी वो गीली रेत का महल जिनमें रहती है मेरे नटखट बचपन की थोड़ी सी चहल पहल, याद है मुझको वो झूठ मूठ की कहानी जिनको सुनाकर मुझे मेरी नानी थी मुझे सुलाती, बचपन की वो बातें मेरा स्मृति दर्पण लग जाता है मुझको तस्वीरों में दिखाने, छोटी सी आंखों में मेरी बड़े बड़े सपनों की झलक आज भी दिखती है, जिन्हें सुनकर आज भी मेरे घर के सब बड़ो की ताली बजती है, हंसते थे मिलकर सब जब करते है आपस में मेरे बचपन बिना सिर पैर की बातें, बचपन की वो बातें जब कभी मुझे याद आती है तो हर दफा लगती है मुझको बेवक्त सताने.... 

3 things that excited me as a kid:

My Childish Acts,  Big Dreams In My Small Eyes,  Punishment Given By The Teacher.

Travelling alone in the night feels like,

Travelling alone in the night feels like hunting the answers to life's unexpected questions that only darkness can answer, because darkness is the only person who knows us better than us and understands our sorrow and pain than others.

कभी तो साथ होंगे हम,

कभी तो साथ होंगे हम भूली  बिसरी यादों की बरात होंगे हम,  ज़िंदगी में एक दूसरे के लिए  बस चंद कागज़ात होंगे हम,  उलझे हुए सवालों का  बनकर ज़वाब मिलेंगे हम,  अपने जेहन में दफ़न जज़्बातों की धूल चढ़ी क़िताब होंगे हम,  जब्भी मिलेंगे हम एक दूसरे  से तो हैरां परेशां रहेंगे सब,  कभी तो साथ होंगे हम काफ़ी  अरसे के बाद एक दूजे के लिए  फिरसे कुछ खास होंगे हम....

घुटने लगा है,

घुटने लगा है अब तो दम मेरा सांसों को अपनी खुशियों के लिए  गिरवी जो रखता जा रहा हूं....

My 3 Line Love Story

Tell me the one thing. Why do you have to fight with me.  When you have to live and die with me.

कभी हम साथ होंगे

कभी हम साथ होंगे  अलग अलग होंगी मंजिलें  ज़िंदगी के सफ़र में हमारी,  देर से ही सही पर पूरे हमारी  ज़िंदगी के कुछ अधूरे ख़्वाब  होंगे,  बैठे रहेंगे दर्मियाँ एक दुसरे के  ख़ामोशी को सजाए सुर्ख़ होंटो  पर अपने, फिर बयां आँखों ही आँखों से  दिल में सहजे हुए कुछ जज़्बात  होंगे,  मुमकिन न हुआ अगर इस  ज़िंदगी में तुमसे मिलना ए  मेरी ज़िंदगी,  तो अपनी अगली ज़िंदगी में  तेरी हर सुबह और हर शाम  होंगे...