दूर है वो,
दूर है वो मुझसे पर दिल क़रीब क्यूं नज़र आता है
ये मोहोब्बत नहीं तो क्या है जनाब, आंखें बंद करते
ही उनका हसीन चेहरा पलकों पे मेरी सिमट जाता है,
जब उनसे मेरी पहली मुलाक़ात का किस्सा मेरे होंठों
पर मुस्कुराहट बनकर झलक आता है, पूरी तो हो जाती ख्वाइश मेरे दिल की पर न जानें क्यूं ए खुदा मेरा हर
ख़्वाब हर दफा ही अधूरा रह जाता है...
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