काश,
काश उनकी और मेरी पहली
इत्तेफाक ए मुलाक़ात एक राज़
न होती
काश मेरी ये दिल की धड़कने
उनके लिए सिर्फ़ एक आवाज़
न होती
काश इस शोरगुल दुनियां में भी
मेरी ख़ामोशी की भी कोई जुबां
होती
काश समेट पाता उन हसीं
लम्हों को मैं हथेली पर अपनी
काश मेरी मोहोब्बत उनकी
नज़रों में सिर्फ़ एक जज़्बात
न होती
काश वो रहते इस दिल में
मेरे हमेशा मेरा आईना बनकर
काश उनकी होता ऐतबार मुझपर
तो आज वो सिर्फ़ मेरी मोहोब्बत ही
नहीं बल्की आज मेरा पूरा जहां होते...
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