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Showing posts from July, 2022

इक अरसा गुज़र,

इक अरसा गुज़र गया तुझको चाहते हुए ए मेरी ज़िंदगी और एक तू है जो आज भी बेखबर है मेरे बीते कल की तरह...

करके तुम्हारी ख्वाईश,

करके तुम्हारी ख्वाईश कौनसा गुनाह कर दिया हमने आजकल तो लोग इबादत में पूरी कायनात मांग लेते है अपने खुदा से...

उनकी चुभती हुई,

उनकी चुभती हुई यादों से कह दो अब मेरे जेहन में आया ना करें, हम तन्हा ही खुश है बेकार में रातों को जगाया न करें..