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Showing posts from March, 2022

उनकी आंखों की खामोशियां,

उनकी आंखों की खामोशियां मुझसे बहुत सवाल करती है, रोज़ दिल की दीवारों पर मेरी एक नया इतिहास लिखती है, कभी कभी तो वो चोरी छिपे अपने दिल के कई गुमशुदा राज़ कहती है, मेरी दिल की धड़कनों को वो बेजुबा अपनी आवाज़ कहती है, अपने हर सजदे में खुदा से  वो येही फ़रियाद करती है, मुझको अपना बीता हुआ कल नहीं वो अपना आज कहती है....

तुमसे मोहोब्बत करके,

तुमसे मोहोब्बत करके सबक ए ज़िंदगी का सीखा मैंने की अगर कुछ ख्वाईशे अधूरी रहती तो अच्छा होता..

उमंग तो कई है,

उमंग तो कई है जिसमें कुछ को पूरा करने में मेरा सारा बचपन गुज़र गया बस ज़रा सा सुकून मांगा था खुदा से खुदा ने सारा जहां मेरी मुठ्ठी में रख दिया...

मेरी पाक मोहोब्बत,

मेरी पाक मोहोब्बत मेरे लिए गुनाह हो गई ज़िंदगी तुम्हारे बिना उम्रभर की सज़ा हो गई बहुत तकलीफ देने लगी हैं तेरी यादों की सलाखें जबसे तेरी तस्वीर दिल में जलकर मेरे धुआं हो गई....

ख़ामोश रहता हूं आईने,

ख़ामोश रहता हूं आईने में खुदको तराशने लगता हूं, बैठा बैठा मैं अपने वजूद को पुकारने लगता हूं, तकलीफ़ तो होती है जब टूटकर बिखर जाता हूं,  फिर मैं धीरे धीरे अपने आस्तित्व को समेटने लगता हूं, रुकता ही नहीं समय का दरिया जब यादों की कश्ती में सफ़र करता हूं, रोकता हूं हर शख्स को और अपनी पहचान पूछने लगता हूं, देखकर मेरा साया भी मुझको बेइंतेहा खिलखिलाता है, भागता रहता हूं उजाले के पीछे पर हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा नज़र आता है, बेसुध ठहरा रहता हूं मेरी आंख भर आती है देखते देखते मेरी एक और रात गुज़र जाती है....

रफ़्तार पकड़ने लगी है,

रफ़्तार पकड़ने लगी है मेरी ज़िंदगी कभी खुशियां तो कभी कुछ अपने मुझसे रूठ जाते है, लिखता हूं हमेशा मैं कुछ नया ज़िंदगी की क़िताब में पर क्या करूं मुझसे कुछ ज़िंदगी के हसीन पन्ने ख़ाली छूट जाते हैं...

करीब हूं तुम्हारे,

करीब हूं तुम्हारे पर तुम्हारी इन आंखों में दिखता मुझे मेरा अक्स क्यूं नहीं, हां ये सच है की बेपनाह मोहोब्बत है तुमसे क्यूंकि मेरी ज़िंदगी में तुम्हारे अलावा कोई दूसरा शख़्स नहीं...

बेज़ुबां सा दिखता है,

बेज़ुबां सा दिखता है आईने में अक्स मेरा दर्द चेहरे पर उसके साफ मुस्कुराता है, एक अरसा बीत गया है बातें किए खुदसे जानें कबतक ख़फा रहेगा वो मुझसे...

रास्ते बदल जाते है,

रास्ते बदल जाते है जब पूछता हूं मैं पता अपनी मंज़िल का दुआ करो यारों कहीं मेरी ये ज़िंदगी ना बीत जाए खुद की तलाश करते करते...

वक्त उस शख़्स की,

वक्त उस शख़्स की ख़ामोश ज़िंदगी की दास्तां सुनाता है  शायद इसलिए वो यादों की क़िताब में अपनी ज़िंदगी का सुकून तलाशता रहता है...

अंगड़ाइयां लेने लगी है,

अंगड़ाइयां लेने लगी है मेरी मोहोब्बत बस इतनी सी इल्तेजा है तुमसे ए हसीन ख़फा ना हो जाना अगर कोई गुस्ताखी हो जाए मुझसे तुम्हें देखते देखते...

सब लोगों को कहते सुना था

सब लोगों को कहते सुना था मोहोब्बत कभी मरती नहीं, अगर ज़िंदा होती तो आज मेरी गुमनाम शकसियत की भी एक पहचान होती...

उनसे दिल्लगी,

उनसे दिल्लगी मुझको इस क़दर हुई मेरे यारों  की अब मेरी हर एक शाम ढलने लगी है अपने  आंसुओ को समेटते समेटते...

जाने किसकी,

जाने किसकी नज़र लगी है मोहोब्बत को हमारी खूबसूरत यादों से भरा गुलदस्ता अब दिल की जमीं  पर मुरझाता जा रहा है...

ख्वाबों के,

ख्वाबों के दर्मियाँ मुलाक़ात हुई उनसे ए खुदा जबसे जागा हूं उसका वजूद तलाश रहा हूं मैं...

नियत,

किसकी नियत कब बिगड़ जाए ये किसी को मालूम नहीं आख़िर इंसान थक ही जाता है अपनी जरूरतों को बदलते बदलते...

तलब,

तलब उनके इश्क़ की मुझे ऐसी लगी यारों बुझाए नहीं बुझती मेरी ये प्यास उनका दीदार  करते करते...

A woman,

What can't a woman do in today's time, if seen, today she is leaving behind the male society in every field, but still she gets very little appreciation for her work. Most of the people look at the woman with a frivolous look and hurt their feelings. Today women's society is capable of achieving the height of success, men's society should increase the morale of women so that they can build a better future together with them.

मोहोब्बत में तुम्हारी,

मोहोब्बत में तुम्हारी कुछ इस तरह से उलझता जा रहा हूं, दुनियां वालों के लिए तो मैं बस एक याद बनता जा रहा हूं

जानें कौनसे,

जानें कौनसे राज़ छुपे है इन खूबसूरत आँखों में तुम्हारी, तुम्हे जितना जानने की कोशिश करता हूं उतना ही मैं खुदको भूल जाता हूं....

काश,

काश लम्हा वो लौट आए फिरसे दर्मियां हमारे,  जिसमें सिर्फ मोहोब्बत के सिवा कुछ ना था ज़िंदगी में हमारी....

उसका इंतेज़ार,

उसका इंतेज़ार है मुझे मिलता नहीं वो शख़्स जिसके गुमशुदा प्यार की तलाश है मुझे, बैठकर सागर किनारे रब् से फ़रियाद करता हूं  ए खुदा क्या मेरी ज़िंदगी का खालीपन याद है तुझे....

खड़ा हूं,

खड़ा हूं ज़िंदगी के इंतज़ार में क्यूंकि सफ़र मेरा अधूरा है, सोचता हूं थोड़ी खुशियाँ समेट लूं सांसों का दामन छुटने से पहले... 

लम्हा,

काफ़िला तुम्हारी हसीन यादों का मुझे बेचैन करने लगता है, क्यूंकि हर लम्हा मैं तुम्हारी  तस्वीर को निहारता जो रहता हूं....

अक्सर,

अक्सर उनकी याद आती हैं दिल को इस क़दर के वक्त क्या चीज़ है ये मैं भूल जाता हूं ऐसा  लगता है जैसे मानो कल की ही बात हो....

खामोशियां तेरी,

खामोशियां तेरी बैचेन करने लगी है मुझको ए ज़िंदगी, भूल चुका हूं खुदको कभी तो मेरी पहचान से मुझको  रूबरू करा ए ज़िंदगी, इस दुनियां में तेरे सिवा मेरा कौन है  ज़रा पास आकर कभी तो मुस्कुरा दे ए ज़िंदगी....