कभी हम साथ होंगे
कभी हम साथ होंगे
अलग अलग होंगी मंजिलें
ज़िंदगी के सफ़र में हमारी,
देर से ही सही पर पूरे हमारी
ज़िंदगी के कुछ अधूरे ख़्वाब
होंगे,
बैठे रहेंगे दर्मियाँ एक दुसरे के
ख़ामोशी को सजाए सुर्ख़ होंटो
पर अपने,
फिर बयां आँखों ही आँखों से
दिल में सहजे हुए कुछ जज़्बात
होंगे,
मुमकिन न हुआ अगर इस
ज़िंदगी में तुमसे मिलना ए
मेरी ज़िंदगी,
तो अपनी अगली ज़िंदगी में
तेरी हर सुबह और हर शाम
होंगे...
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