वो मंज़र ज़िन्दगी का था,

वो मंज़र ज़िन्दगी का था, 

बहता जिसमें एक कतरा 
मेरी खुशियों का भी था, 

खो जाता हूं मैं जब याद 
आता है मुझको आज भी,

झिलमिल यादों में बसा 
मुस्कुराता हुआ बचपन मेरा, 

समेटा हुआ है मैंने कुछ अधूरे
ख्वाबों को आंखों में अपनी, 

डूब जाता हूं जिसमें अक्सर 
मैं वो साहिल ज़िन्दगी का था...

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