शब्दों की बूंद बूंद से

शब्दों की बूंद बूंद से मैं 
अपना ज्ञान का सागर भरता हूं,

बातें करता हूं अपने शब्दों से 
कुछ अपनी कहता कुछ उनकी 
सुनता हूं, 

याद दिलाता हूं उनको इतिहास उन्हीं 
का जब जब उनसे बातें करता हूं, 

मैं अपने शब्दों को उनका महत्व 
अपने कोरे जीवन पर लिख लिखकर 
दर्शाता हूं, 

जब होते नहीं वो सब साथ मेरे तो 
मैं कुछ भी पढ़ लिख नही पाता हूं, 

जोड़ जोड़कर शब्दों को अपने मैं 
अपने शब्दों का जहान बनाता हूं।

Comments

Popular posts from this blog

Life without friends is like

I'm one step away,

If I were a river....