मेरे पापा मेरा खिलौना है,

मेरे पापा मेरा खिलौना है
कभी मेरे सपनों का घोड़ा 
तो कभी खुशियों से भरा 
बिछौना है, 

दिनभर मेरे ख्वाबों को पूरा
करते है पापा कभी कभी
आधी रात तक जगते है, 

अंदाज़ उनका कभी नीम
सा कड़वा तो कभी शहद 
सा मीठा लगता हैं, 

तो कभी कभी उनका गुस्सा 
मेरा माथा चूमने लगता है, 

क्या मांगू में उनसे जो 
मांगने से पहले ही मेरी 
खुशियां खरीद लाते है, 

जब होते है वो साथ मेरे तो 
हर दुख दर्द को भूल जाते है,

अक्सर पापा मुझसे बच्चों की 
तरह झगड़ते है पर बात हमेशा 
पते की करते हैं,  

हंसते है मुझपर जब शैतानियां 
मैं अनोखी अनोखी करता हूं,

उनके कदमों की आहट से मैं 
आज भी थोड़ा बहुत डरता हूं, 

कभी कभी पापा मुझको रुलाते 
बहुत हैं बैठाकर अपने कंधों पर 
घुमाते बहुत है, 

देखता हूं उनको जब तो सवेरा 
लगता है पापा के बिना जीवन
मेरा अंधेरे में सिमटने लगता है, 

दूर होता हूं जब मैं उनसे तो 
मुझको उनकी याद सताती है,

हारकर भी जीतने लगता हूं
जब मुझे पापा की कही बातें 
याद आती है,

रोक नहीं पाता मैं खुदको आंखों 
को मलने लगता हूं बेवजह तस्वीर
से मैं उनकी झगड़ पड़ता हूं, 

मेरे पापा ही मेरा खिलौना है कभी
सपनों का घोड़ा तो कभी खुशियों 
से भरा बिछौना है।

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