इंसान की फ़ितरत है...

इंसान की फ़ितरत है 
हर हसीं चेहरे से दिल 
लगा लेता है, 

धीरे धीरे मोहोब्बत में 
उसकी अपनी पहचान 
को मिटाने लगता है, 

भूल जाता है खुदको 
बस उस हसीं चेहरे को 
याद रखता है, 

देखते ही देखते ख्वाइशों 
को अपनी अपने ही हाथों 
से जलाने लगता है, 

ढूंढता है खुदको जमाने 
में भटकने लगता है, 

जब उसको उसका हर 
अज़ीज़ टोकने लगता है...

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