इंसान कर हौंसले अपने बुलंद तू ,

इंसान कर हौंसले अपने बुलंद तू 
कर गुजर ज़िंदगी में ऐसा काम तू, 
ज़िंदगी बचा सके किसी एक की
भी कर उस शख़्स को सलाम तू, 

वक्त बुरा है गुज़र जायेगा मिला
अनजान के हाथ से अपना हाथ तू, 
ज़िंदगी मिलती है बड़ी मुश्किल से 
यूं ना बैर कर ज़िंदगी कर खराब तू,

भूलाकर सब रंजिशे और धर्म को 
अपने आ इंसानियत के काम तू, 
रोकले किसी के घर का चिराग बुझने 
से कर मासूम जिंदगियों को आबाद तू, 

जो छोड़ गए अपने पीछे कुछ जिंदगियो
को बेसहारा बनकर उन सबका सहारा, 
दे इंसानियत को एक नया नाम तू वक्त बुरा 
है गुजर जाएगा आ इंसानियत के काम तू,

लड़ रहे हैं जो दिन रात इस कहर से 
कुर्बानी को उनकी तू न जाया कर,
वक्त बुरा है गुजर जाएगा खड़ा रह 
अपनो और हर अनजान के साथ तू...

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