जिस गली से हुआ गुज़र तेरा,

जिस गली से हुआ गुज़र तेरा
कदमों के तेरे निशा वहां आज 
भी है ढूंढता हूं तुझको हर गली
और हर जगह जहां तेरी खुशबू
आज भी है मिलता नही मुझको
पता तेरा शायद तुमको मुझसे
नफ़रत आज भी है भूलता नही 
तुझे भुलाने पर क्योंकि तेरी सांसों 
की महक मेरी सांसों में आज भी है
दिखते नही निशा तेरे होंठों के किसी 
को जो मेरे होंठों पर आज भी है 
बेपनाह मोहोब्बत करते हो मुझसे 
जो मेहसूस होती मुझको आज भी है 
भटकती है रूह तेरी अक्सर जिसको 
इंतज़ार मेरे लौट आने का आज भी है.....

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