काँटे की तरह चुभ जाता है, इश्क़

काँटे की तरह चुभ जाता है, इश्क़
बंद आंखों से नज़र आता है, इश्क़
दर्द मीठा-मीठा दे जाता है, इश्क़
अक्सर बेवजह यूंही तड़पाता है, इश्क़
रोज़ ख्वाबों में मिलना आता है, इश्क़
ज़रूरत पड़ने पर काम आता है, इश्क़
कभी हसंता तो कभी रुलाता है, इश्क़
बात बात पर रूठ जाता है, इश्क़
रूठे हुए को प्यार से मनाता है, इश्क़,
सोए हुए को नींद से जगाता है, इश्क़
एक दूजे के क़दर करना सिखाता है, इश्क़
गलती करने पर मासूम बन जाता है, इश्क़
खुली आंखों से सपने देखना सिखाता है, इश्क़
किसी के इंतज़ार में जीना सिखाता है, इश्क़
खामोशी को पढ़ना सिखाता है, इश्क़
त्याग करना सिखाता है, इश्क़
दूर रहकर भी अपनी याद दिलाता है, इश्क़
प्यार में झुकना सिखाता है, इश्क़
मेहसूस तो होती है चुभन इश्क़ की,
अक्सर पर ज़ख़्म नज़र नहीं आता है...

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