जब हिम्मत टूट जाती है तब बांहों में लेकर दिलासा देती है ये ज़िंदगी सारा सुकून छीन लेती है बस कुछ खवाइशो के बदले में ये ज़िंदगी भटकता रहता है इंसान खुशियों की तलाश में दरबदर इस दुनियां में क्या खुदको तलाशने का ही नाम है ज़िंदगी...
दुनियां में लोगों की फितरत है बदलना मौका मिलते ही रिश्ते तक बदल जाते है समय भी हार जाता है पर बदल नहीं पाता मुझको जाने कौनसी मिट्टी से बनाया है खुदा ने मुझे....
ख्वाइशों के समंदर से टकराने लगी है कश्ती मेरी सुना है टूटे हुए ख्वाबों का कोई किनारा नहीं होता ज़िंदगी में एक ही मर्तबा होती है किसी से बेपनाह मोहोब्बत क्यूंकि हर खूबसूरत चेहरा उसके चेहरे जितना प्यारा नहीं होता...
देखता हूं मैं जब तस्वीर को तुम्हारी वक्त हवा के झोंके की तरह गुजरने लगता है, ऐसा क्या जादू है तुम्हारी इन आंखों में ए हसीन मैं पंछी इश्क़ का बेवजह तड़पने लगता हूं...