बड़ा ही,

बड़ा ही पेचीदा है तसव्वुर-ए-आलम मोहोब्बत का उनकी,
बह जाता हूं हंसीन खयालों में उनके फिरभी उनके दिल के
दरिया का किनारा नहीं मिलता....

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