छांव, Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps June 05, 2022 तू मुझको अपनी ममता के आंचल की छांव दे ज़िंदगी,टूटा ही सही अपना तराशा हुआ इक ख़्वाब दे ज़िंदगी,ढूंढ ही लूंगा मैं किसी दिन ठिकाना अपनी ख़्वाब ए मंज़िल का,तू चलने दे मुझको यूहीं मेरे सफ़र तक नंगे पांव ज़िंदगी... Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps Comments
अजीब सिलसिला, January 12, 2024 अजीब सिलसिला है दरमियां हमारे ए अजनबी शिकायतें भी बहुत है और बेइंतेहा मोहब्बत भी। Read more
किस-किस, January 12, 2024 किस-किस से छुपाए तुम्हें हम ए हमसफर मेरी आंखों से रूह तक बस तुम ही तुम हो... Read more
इतना भी न, January 03, 2024 इतना भी न रूठो तुम हमसे ए हमसफर, हर लम्हा हमें पराया सा लगने लगता है। Read more
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