खवाईशो का पहिया,
खवाईशो का पहिया
रुका रुका सा क्यूं है,
आज दिल मेरा मुझसे
खफ़ा ख़फा सा क्यूं,
बदलती रहती है ज़िंदगी
कुछ बेरंग सपनों को मेरे
आहिस्ता आहिस्ता,
जलती है उनकी हसीं यादें
गीली दिल की जमीं पर लगता
आंखों में धुआं धुआं सा क्यूं है,
गुनेहगार नहीं मैं तेरा ए खुदा
फिरभी मेरा ये सर दर पर तेरे
आज झुका झुका सा क्यूं है...
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