नादां मोहोब्बत,
आजकल की ये नादां मोहोब्बत
एक दूजे के लिए इतंकाम हो गई,
किसी की मुस्कुराती हुई सुबह तो
किसी की ढलती हुई शाम हो गई,
कुछ मुकमल हुई खुदा की रहमत
से तो कुछ दास्तां ए इश्क़ गुमनाम
हो गई,
वक्त गुजरता रहा लेकर ख्वाइशों को
दिल ही दिल में कुछ हक़ीक़त हुई तो
कुछ आंखों पर भाप हो गई,
जिक्र हुआ जब महफ़िल ए इश्क़ में
उनका तो बताते बताते चंद लम्हों में
रात हो गई....
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