दौड़,

मेरी ये दौड़ ख़्वाब ए ज़िंदगी
एक खुशनुमा आस बन गई,

जानें अंजाने में ही सही इस
खुदगर्ज दुनियां की नज़रों में
ख़ास बन गई, 

इक अरसा बीत गया संभालते
संभालते खवाईशो को अपनी 
ए खुदा,

कुछ दौड़ते भागते सपनों के 
पीछे अब मेरी ये ज़िंदगी एक
अधूरी प्यास बन गई....

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