मां मेरी एक तख्ती है,

मां मेरी एक तख्ती है रोज़ कोरे जीवन पर मेरे अपनी अच्छी अच्छी बातों को लिखती है, दिनभर रखती ख्याल सभी का ज़रा सा भी उफ़ नहीं करती है, रहती है मुस्कान सदा चेहरे पर उसके ख्वाइशों को अपनी रात के अंधेरे में चोरी चुपके सिलती है, बेचैन हो जाती है मेरी ये आँखें जब पलभर भी मुझको मेरी मां नहीं दिखती है, कभी कभी तो मेरी प्यारी मां मेरी बेतुकी बातो पर भी दिल खोल के हंसती है, हे ईश्वर तू रखना सलामत हमेशा मां को मेरी क्यूंकि उसके ममता के आंचल में मेरे अंगिनत सपनों की टोली बस्ती है।

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