मेरा पेशा,
मेरा पेशा हुआ तो क्या हुआ
जब्से मां की कोख में हूं तब्से
अबतक बदनाम हूं मैं,
कहने को तो समाज का हिस्सा हूं
पर मुझको मिलता ही नहीं मेरा
ओदा कभी जिसकी हकदार हूं मैं,
भूल जाती है ये दुनियां मुझ जैसे
हजारों को जन्म देकर कभी कभी तो
ऐसा लगता है जैसे अपनी ही ज़िंदगी में
जीता जागता एक अल्पविराम हूं मैं...
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