मेरी चाहत,

मेरी चाहत ए अमन की तलाश ने मुझको काफ़िर बना दिया, जोभी बेइंतेहा सुकून था ज़िंदगी में मेरी आज एक शख्स पर
हमने वो भी लुटा दिया...

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