चिट्ठियां,

कभी चिट्ठियां तो कभी उल्फत ए याद मोहोब्बत तुम्हारी अक्सर मुझको बेचैन कर जाती है ए हसीं, कभी कभी तो ऐसा लगता है की मैं कोई आशिक़ नहीं बल्की कर्ज़दार हूं तुम्हारा...

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