उनकी आंखों की खामोशियां,
उनकी आंखों की खामोशियां मुझसे बहुत सवाल करती है, रोज़ दिल की दीवारों पर मेरी एक नया इतिहास लिखती है, कभी कभी तो वो चोरी छिपे अपने दिल के कई गुमशुदा राज़ कहती है, मेरी दिल की धड़कनों को वो बेजुबा अपनी आवाज़ कहती है, अपने हर सजदे में खुदा से वो येही फ़रियाद करती है, मुझको अपना बीता हुआ कल नहीं वो अपना आज कहती है....