रात ख़्वाब बुनती है,

रात ख़्वाब बुनती है 

रोज़ मेरी ख्वाइशों को 
सजाने के लिए एक संसार 
नया चुनती है, 

चोरी छुपे मेरे हर एक दुख 
दर्द को बड़े ध्यान से कान 
लगाकर सुनती है, 

जब ख़ामोश रहता हूं मैं
तो मेरी पलकों पर आकर 
मुस्कान बेइंतहा भर्ती है, 

लेकर आगोश में मुझको 
ये रात मेरे ख्वाबों के लिए 
रोज़ एक नया आसमां चुनती है...

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