आँखें ढूँढती हैं

आँखें ढूँढती हैं रोशनी को हमारी और तुम ख्वाबों को जलाने की बात करते हो, ढूँढती हैं आँखें हरवक्त पहचान को हमारी और तुम बंद आँखों में आशा का दीपक जलाने की बात करते हो, ख़ोज लाती है मेरी आँखें कुछ अंजाने से सवालों को मुझतक और तुम ख़ामोश रहने की बात करते हो....

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