नवम्बर के दिनों में
नवम्बर के दिनों में आशा के दीये जलते है हर्षो उल्लास के साथ खोए हुए रिश्ते गले मिलते हैं घर घर खुशी के लड्डू बट्टते है रोशनी में नहाता है घर और आंगन हमारा जगमग जगमग रोशन होता है आसमां सारा चार चांद लग जायेंगे इसमें अगर बन जाए हम किसी की खुशियों का सहारा बांटे खुशी सभी को हाथों से अपने बन जाए किसी के लिए उसकी
मन्नत का तारा।
Comments
Post a Comment