मुझे ये समझने में सालों लग गए
मुझे ये समझने में सालों लग गए की की दूसरो से भिन्न दिखना कोई बुरी बात नहीं होती क्योंकि जिस तरह एक कैक्टस का पौधा भले ही दिखने में सुंदर नहीं होता, और कांटेदार होने की वजह से दूसरों को हमेशा हानि पहुंचाता है। तो इसका मतलब ये नही होता के वह बुरा है बल्की उसका कांटेदार होना उसको उसके अंदर छुपे कोमल भाग को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है और हम उसकी भावनाओं को कभी नहीं समझ पाते है। उसकी क़िस्मत में जीवन भर अकेले रहना और सम्पूर्ण जीवन दूसरों की घृणा का पात्र बनकर रहना ही लिखा है। और कोई भी व्यक्ति उसके जीवन तरह जीवन व्यतीत करना नही चाहेगा और यही बात उसको सबसे भिन्न बनाती है। और इसी तरह हमें भी अपने जीवन को उसके जीवन की तरह बनना चाहिए क्योंकि अक्सर लोग हमे और हमारी भावनाओं को क्षति पहुंचाते रहते है। जिसकी वजह से हमें पीड़ा होती और टूटकर बिखर जाते है और जीवन भर उस वाक्या को कभी भूला नहीं पाते चाहते हुए भी।
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