दिया वफ़ा का जलाओ

दिया वफ़ा का जलाओ अपने दिल में जो कभी बेवजह बुझता नहीं, जिसकी सुनेहरी रोशनी में दर्द कभी पलता नही, बेरंग ज़िंदगी भी हमारी रंगीन हो जाती है जिसपर कभी मायूसी का काला रंग चढ़ता नही, सोई हुई मोहोब्बत भी जाग जाती है दो दिलों के दर्मियां जिनकी ज़िंदगी में मोहोब्बत का सूरज कभी ढलता नही.....

Comments

Popular posts from this blog

Life without friends is like

I'm one step away,

If I were a river....