ज्ञान कला अध्यात्म दे

ज्ञान कला अध्यात्म दे
हे वरदायिनी मुझे अपनी श्रद्धा भक्ति का वरदान दे मां, मैं अकेला अधूरा शरण में तुम्हारी मुझको ममता का सागर अपना अपार दे मां, मिटाकर मेरे जीवन का अंधेरा, मुझको मेरा उजालों का संसार दे माँ, हे वरदायिनी मुझको मेरी अज्ञानता से तारदे माँ, बैठा हुं शरण में तुम्हारी मुझको पराक्रम ज्ञान कला अध्यात्म दे मां...

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