कहीं खो जाना है,
कहीं खो जाना है
मुझको छुपाना मैं सबसे
अपनी पहचान चाहता हूं,
ढूंढ ना सके कोई भी
मुझको चलते चलते रास्तों
से मिटाने अपने कदमों के
निशान चाहता हूं,
खोकर खुदको इन हसीं
वादियों की भुलभुलैया में
बनाना मैं सफ़र को अपने
अंजान चाहता हूं,
थक गया हूं खुदको ढूंढते
ढूंढते ज़िंदगी में अपनी अब
बनाना दूर कहीं एक छोटा
सा मकान चाहता हूं,
जहां मिलना मैं खुदसे
हर सुबह और हर शाम
चाहता हूं.....
Nice
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