किस बात का गिला है

किस बात का गिला है तुझको मुझसे ए मेरी ज़िंदगी क्या तुझे मुझसे अब बेइंतेहा प्यार नहीं, उलझा रहता हूं हर लम्हा अपनी कश्मकश में जिसका रखता नहीं मैं हिसाब कोई, वक्त का घड़ा खाली होने लगा है अब तो क्या तुम्हें कुछ भी धुंधला धुंधला सा याद नहीं, ढूंढता रहता हूं तुझे हर जगह पर सुनता नहीं मेरी फ़रियाद कोई, पलभर में गुज़र जाता है रास्ता मेरा जहां मिलता नहीं मुझे तेरा नाम और निशां कोई, ये कैसा सिलसिला है बता दे मुझको ए मेरी ज़िंदगी क्यूंकि मेहज़ मेरा तुझसे मिलना कोई इत्तेफ़ाक नही....

Comments

Popular posts from this blog

Life without friends is like

I'm one step away,

If I were a river....