शुभ सोचोगे, शुभ ही होगा
शुभ सोचोगे, शुभ ही होगा
खुद सोचोगे तभी तो पाओगे
पता अपनी मंजिल का,
करोगे परिश्रम आज अगर
तो अपना कल बेहतर पाओगे,
डरते रहोगे ऊंचाईयों से अगर
तो मंज़िल अपनी कैसे पाओगे,
मानों न हार कभी जीवन में
तभी तो आगे बढ़ते जाओगे,
झुकाना सीखो पर्वत को भी
तभी तो ऊपर उठ पाओगे,
शुभ सोचोगे, शुभ ही होगा
जब खुद सोचोगे तब ही तो,
सबकुछ ज़िंदगी में पाओगे
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