कोशिश करके देखते हैं,

कोशिश करके देखते हैं,
जाने ये अंजान राहें अब मुझे ले जायेगी कहाँ,
सपने सजाकर अपनी इन आँखों में चलने लगा हूं मैं,
जब भी याद आता है मुझे आशियाना मेरा,
जो धुंधली यादों में है बसा पलकों पर आंसू दे जाता है,
कारवां अंजाना है और मंजिले भी नई सी लगती हैं,
मेरी नज़रे ढूंढती रहती हैं मंज़िल को मेरी हर तरफ,
मिलेगी या नहीं बस तन्हा इसपर चलता जा रहा हूं मैं,
अपने सफर के सुंदर नजारों का लुत्फ उठा रहा हूं मैं..

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