ये मेरे रूबरू कौन है,

ये मेरे रूबरू कौन है
अक्स तो मेरा ही दिखाई देता है,
आईना मेरा मुझे खुद से मिलाने लगता है,
शायद भूल गया है खुद का पता या शायद,
किसी से अपनी पहचान छुपाता फिरता है,
उसकी आंखे बयां करती है उसके दर्द को शायद,
इसलिए हर वक्त पलकों को झुकाए रहता है,
करता है बहुत कोशिश बात करने की मुझसे,
पर हर पल डरा सहमा सा रहता है,
ये मेरे रूबरू कौन है शख्स तो जाना,
पहचाना सा लगता है....

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