ज़िन्दगी की कली,

ज़िन्दगी की कली,
होले होले मुस्कुराने लगी,
मेहक इसकी अंजान को,
भी अपना बनाने लगी है,
ये मन ही मन बहुत,
इतराने लगी है,
मोहित हो जाता है,
इसको देखने वाला,
जाने कौनसा जादू,
ये चलाने लगी है,
सींचने लगी है खुद को,
मोहोब्बत से मेरी,
दिल में खिलती गई...

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