रात ने पर फैलाए

रात ने पर फैलाए
बस भरनी उड़ान बाकी है रात थोड़ा ठहर जा अभी 
तेरे सपनों का आकाश खाली करना बाकी है उड़ना 
तू अपने पर फैलाए बादलों के ऊपर जहां से दिखता 
पूरा ब्रम्हांड है होगी मुलाक़ात तेरी चंदा मामा और 
तारो से जो आसान तेरी उड़ान करेंगे जगमगा कर 
रोशन तेरा जहान करेंगे सवेरा होते ही लौट आना 
नही तो सूरज चाचू परेशान करेंगे।

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