नज़रअंदाज़ करता है मुझे वो,
नज़रअंदाज़ करता है मुझे वो
और हर ख्वाईश को मेरी सुनने से
लगता है जैसे खुदा भी मुझको अब,
पहचानता नहीं खड़ा रहता हूं दर पर
उस खुदा के फिरभी ध्यान उनको मेरा,
कभी आता नहीं भूल गाए है शायद
वो मुझे और मेरे वजूद को ज़िंदगी देने,
के बाद इस जहान में कैसे करलूँ यकीन
उस खुदा पर जो अब मुझे जानता भी नहीं.....
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