सुन तो सकते हो
सुन तो सकते हो
अनकहे अल्फाज़ मेरे दिल के
क्यों मुझको इतना तरसाते हो
करनी नही है बात अगर मुझसे
तो मेरी इन आंखों को तो पढ़
सकते हो, छुपे है मेरे दिल में
जज़्बात कई उनको समझ तो
सकते हो शर्माना छोड़कर कम
से कम पकड़कर हाथ मेरा अपनी
मोहोब्बत का इज़हार तो कर सकते हो....
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