कुछ नहीं तो,

कुछ नहीं तो,
मुझे सम्मान मेरा लौटा दे ज़िंदगी,
लौटा दे मेरे खुशियों से भरे वो पल,
जो मैं भूलने लगी हूं आजकल,
ठुकराया मुझे मेरे अपनो और समाज ने,
कर बैठी जो मोहोब्बत किसी अनजान से,
बेबस होकर उसने भी साथ मेरा छोड़ दिया,
तन्हा इस दुनियां के ताने सुनने को,
फिरसे जीने की उमंग सजा के बैठी हूं,
कुछ नहीं तो दे सकती तो ए जिंदगी,
इस सजा के बदले फनाह कर मुझे.....

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