रात ऐसी नज़र आती है,
रात ऐसी नज़र आती है,
सितारों से बातें करती हो जैसे,
दास्तां अपनी मोहोबात की,
तारों को सुनाती होगी,
थोड़ा बदनाम तो रात चांद,
को भी किया करती होगी,
हैरत तो होती होगी चांद को भी,
इतने इल्ज़ाम जब उसपर लगती होगी,
फिरती होगी नज़रे चुराती हुई चांद से,
ओझल हो जाया करती होगी,
सुबह की पहली किरण के साथ....
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