जब तुम्हारी ज़रूरत थी, Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps October 12, 2021 जब तुम्हारी ज़रूरत थीमुझे भरी महफ़िल में तबना जाने तुम्हारे साय ने भीसाथ मेरा छोड़ दिया ढूंढती रही निगाहें मेरीसिर्फ तुम्हे हर जगहमिला न अक्स तुम्हारानज़रे झुकाकर रोने लगेख़ामोश पलकों से मेरादर्द बयां होता रहा..... Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps Comments
अजीब सिलसिला, January 12, 2024 अजीब सिलसिला है दरमियां हमारे ए अजनबी शिकायतें भी बहुत है और बेइंतेहा मोहब्बत भी। Read more
इतना भी न, January 03, 2024 इतना भी न रूठो तुम हमसे ए हमसफर, हर लम्हा हमें पराया सा लगने लगता है। Read more
किस-किस, January 12, 2024 किस-किस से छुपाए तुम्हें हम ए हमसफर मेरी आंखों से रूह तक बस तुम ही तुम हो... Read more
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