क्या ढूँढते हो बाज़ारों में

क्या ढूँढते हो बाज़ारों में
ये सवाल हर शख्स मुझसे पूछने लगा है ढूंढता हूं अपना सुकून ज़िंदगी का सुना है बिकने लगा है आजकल बाज़ारों में कतार में लगा हूं भीड़ बहुत है कहीं मेरी क़िस्मत का सुकून खरीद न ले कोई एक शख्स बैठा है अपने गमों को लेकर जिसका मिलता नही खरीददार कोई नही पूछे जो अगर कोई तुमसे, क्या ढूँढते हो बाज़ारों में तो कहना खुशियां मेरी.....

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