हर सुबह ज़िन्दगी है नई,

हर सुबह ज़िन्दगी है नई
तो लगता मुझे मेरा सफ़र पुराना क्यों है,
नई है कश्ती मेरी और नया आसमान है फिरभी
लगता मुझे ठहरा हुआ समंदर का पानी क्यों है,
जहन में कुछ सवाल है मेरे जिनका कभी मिलता नही
जवाब मुझे ऐसा क्यों है, सोचता रहता हूं सपनों को
लेकर आंखों में अपनी हर सुबह रौशनी है नई
तो मेरे जीवन में अंधेरा क्यों है...

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